दिनांकः ५/२/२०२५
काशी। रामघाटस्थित सांगवेद विद्यालय में ५ फरवरी २०२५ बुधवार को सायं ६ बजे पूज्यपाद दक्षिणा-म्नाय शृंगेरी शारदापीठाधीश जगद्गुरु शंकराचार्य श्री १००८ भारतीर्थ स्वामी जी महाराज के शिष्य श्री १००८ विधुशेखर भारती स्वामी जी महाराज पधारे। उनका विद्यालय के द्वार पर पूर्णकुभ से स्वागत किया गया। विद्यालय में उनका विधिवत् पादप्रक्षालन किया गया। देवदर्शन के पश्चात् स्वागत भाषण में विद्यालयाध्यक्ष विश्वेश्वरशास्त्री द्राविडजी ने विद्यालय के कार्यकलाप का परिचय दिया। गुरुपादुका पूजन उन्होंने किया। आचार्यचरणों का विद्यालय की ओर से अभिनन्दन किया गया। माल्य एवं महा वरत्र समर्पित किये गये। काशी के वयोवृद्ध विद्वान् श्री जगन्नाथ शास्त्री नैजङ्गजी ने स्वामीजी को श्लोकात्मक रचना अर्पित की।
आचार्यचरणों ने आशीर्वचन में कहा कि- गुरु शिष्य परम्परा से विद्यासंरक्षण करना सबका महत्त्वपूर्ण कार्य हैं। उस कार्य को सांगवेद विद्यालय निभा रहा है यह प्रसन्नता का विषय है। इस विद्यालय में हमारे परमगुरु • श्री १००८ अभिनव विद्यातीर्थ स्वामीजी तथा हमारे गुरु श्री १००८ भारती तीर्था स्वामीजी पूर्व में आ चुके हैं। आज हमारा आगमन हुआ है। विद्यालय के द्वारा गुरु-शिष्य परम्परा का रक्षण होता रहे ऐसा हमारा आशीर्वाद है। विद्वानों के भाषण में श्री दिनेश जोशी ने कहा कि-सांगवेद विद्यालय के द्वारा वेदशास्त्र की विशुद्ध परम्परा का संरक्षण सदा हो रहा है। सभाध्यक्ष श्री मदनकृष्ण नागर महोदय ने कहा कि – सांगवेद विद्यालय गुरु-शिष्य परम्परा से विद्या-संरक्षण में संलग्न है। उस कार्य को आचार्यचरणों के शुभागमन से बल मिला है। आचार्य चरण विद्यालय पर अपनी कृपादृष्टि सदा बनाये रखें यही प्रार्थना है। श्री गणेश्वर शास्त्री द्राविडजी ने आभार व्यक्त किया। प्रारंभ में श्री शंकर लाल मेहता एवं तथा श्री अरुण कुमार झा, श्री प्रदीपलाल मेहता का शुभसंन्देश पढ़ा गया। आचार्यचरणों के जाने के पश्चात् विद्वानों का पूजन किया गया तथा प्रसाद वितरण हुआ।